चाहतों के किस्से सुने नहीं है शायद ,
शीरी फरहाद का प्यार गये वक्त की बात हो गई ।
वो ढुढता रहा जिन्दगी बनाने को जिन्दगी ,
ढूँढते ढूँढते एक खुशनुमा सी जिन्दगी गुजर गई ॥
शीरी फरहाद का प्यार गये वक्त की बात हो गई ।
वो ढुढता रहा जिन्दगी बनाने को जिन्दगी ,
ढूँढते ढूँढते एक खुशनुमा सी जिन्दगी गुजर गई ॥
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हर इंसान जिन्दगी मेँ तीन बार बचपन को जीता है॥
* पहला जब वह खुद छोटा होता है।
* दुसरा जब वह बाप बनता है।
* तीसरा जब वह दादा बनता है।
* पहला जब वह खुद छोटा होता है।
* दुसरा जब वह बाप बनता है।
* तीसरा जब वह दादा बनता है।