हकीकत तो यह है, की जो हकीकत न बन सकी,
बांध आँखों में उन्हें आज भी मैं सजाया करता हूँ ;
एहसास हुआ जब अनगिनत तस्वीरों के बाद, फिर
कलाई को आराम अब, नयी कूची बसाया करता हूँ |
...जनक
बांध आँखों में उन्हें आज भी मैं सजाया करता हूँ ;
एहसास हुआ जब अनगिनत तस्वीरों के बाद, फिर
कलाई को आराम अब, नयी कूची बसाया करता हूँ |
...जनक